आंखरी रात

                    आंखरी रात


नमस्कार दोस्तों मैं मोहन आपको कहानियों के मेले में घुमाना चाहता हूं। अगर आप तैयार है तो चलिए।




मेरा नाम मोहन है, मै कोलकाता में रहता हूं। और यहीं पढ़ाई करता हूं। हमारे कॉलेज में एक टूर था जिसके सिलसिले में हमारे कॉलेज से कुछ बच्चों को टूर पर जाने के लिए चुना गया।

मेरा एक दोस्त है, जिसका नाम नितिन है। हम टूर पर साथ रहने का विचार किया। टूर पर हमे पेड़ों के बारे में कुछ विशेष जानकारी प्राप्त करनी थी। हमने पहले अपने सभी समान को बैग में रखा और बस का इंतजार करने लगे।

कॉलेज की बस आई और हम उस पर सवार होकर निकल गए। जंगल पहुंचने के बाद बस हमे वहां उतार कर चला गया। हमारी टीचर 12 बच्चे नितिन और मै थे।

टीचर ने हमे ये एक जगह इक्कठा किया और सारे नियम समझाने लगी।

जैसे कि दूर कोई नहीं जाएगा।

सब साथ रहेंगे।

जंगली जानवरों को देख कर शोर करना ताकि मदद के लिए हम वहां आ सके।

किसी को प्यास लगी तो अपने घर से लाए पानी का ही इस्तेमाल करे।

किसी को टॉयलेट जाना हो तो किसी को साथ में लेकर जाए।

इधर उधर की चीजों को कोई हाथ नहीं लगाएगा।




सुंदर दिखने वाले फलों को पेड़ से तोड़कर कोई नहीं खाएगा। और शाम होते ही हम बस का इंतजार करेंगे। और फिर बस में बैठ कर निकल जाएंगे।

हम सबने यहां वहां थोड़ी थोड़ी दूरी पर घूमना शुरू किया। कुछ पिक्चर्स लिए। और करीब दो घंटे बाद हमने एक इतना सुंदर पेड़ देखा। मानो वो पेड़ अपने अंदर कुछ राज दबाए बैठा हो।

उसकी लताएं देख कर लग रहा था ये किसी इंसान ने सजाई हो। उस पेड़ पर कुछ निशान सा लग रहा था। नितिन और मै उस निशान को देखने लगे। 

निशान हमसे कुछ कहना चाहता था। नितिन ने अचानक हाथ बढ़ाया और उस निशान को छू दिया। निशान को छूते वो पेड़ जोर जोर से हिलने लगा।

तभी टीचर ने हम सबको आवाज दिया। हम टीचर के पास पहुंचे। टीचर ने हमसे कहा बच्चों उस तरफ कोई मत जाना जहां डेंजर का निशान लगा है। मैं तुम सबको ये बताना भूल गई।

बच्चों ने टीचर से पूछा “क्यों मैडम " टीचर ने कहा बस जितना कहा उतना सुनो, कोई मत जाना वहां। हमने कहा ठीक है मैडम। और फिर हम सबने नाश्ता किया, जो हम सब अपने अपने घर से लाए थे।

लड़कियों के ग्रुप में नितिन की गर्लफ्रेंड भी थी। उसने ना जाने नितिन से कब आकर ये बात बताई कि सच में मैडम ने जिधर जाने से मना किया है उधर मत जाना।

नितिन की गर्लफ्रेंड ने बस ड्राइवर और मैडम की बाते सुनी थी। बस ड्राइवर ने मैडम को किसी पेड़ के बारे में बताया था। नितिन ने मुझसे ये बात छुपाई थी।

नितिन और मै बहुत हैरान थे। हम और आगे बढ़ने लगे। जंगल धीरे धीरे घना होता जा रहा था। हम बहुत आगे निकल गए। फिर मुझे ख्याल आया, हमे वापस जाना चाहिए।

हम वापस मुड़ गए। लेकिन अब हमें बाहर निकलने का रास्ता नजर नहीं आ रहा था। नितिन और मै बहुत डर गए। हमने आवाज लगाना शुरू किसी ने हमारी आवाज नहीं सुनी।

शाम होने को आई, धीरे धीरे सूरज ढलने लगा। फिर कुछ सनसनाहट की आवाज आई। हम घबरा गए, पेड़ जोर जोर से हिलने लगे। अंधेरा सा छा गया। फिर एक आवाज आई। 

ये हमारी टीचर की आवाज थी। हम बहुत खुश हुए, टीचर को हमने आवाज लगाई, “मैडम हम यहां है " टीचर ने कोई जवाब नहीं दिया। टीचर बस हमारा नाम लेकर चिल्लाती रही।

हम टीचर को जोर जोर से आवाज देने लगे। मैने गौर किया मैडम हमारी बातों का जवाब नहीं दे रही। सिर्फ हमारा नाम पुकार रही थी। हम आवाज की तरफ भागने लगे।




अचानक नितिन एक बेल से उलझ गया, नितिन चिल्लाने लगा। मै उसको छुड़ाने की कोशिश करने लगा। नितिन को वो बेले ऊपर की तरफ खींच रही थी।

मैं नितिन को छुरा नहीं पाया। मै चीखने चिल्लाने लगा। फिर थक कर मै वहीं बैठ गया और रोने लगा। मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला। 

सुबह हो गई ओर मै बाहर निकलने के लिए भटकने लगा। मुझे बाहर का रास्ता मिल गया। मै उसी जगह पर वापस आया जहां मैडम ने हम सबको रहने को कहा था।

मै जब वहां पहुंचा तो मैं क्या देखता हूं। नितिन बाकी बच्चों के साथ बैठा था। मै ये सब देख कर हैरान हो गया। मैडम ने मुझे बुलाया और बहुत डांटा, मै मैडम के बातों का जवाब नहीं दे रहा था।

मैडम ने मुझ पर चिल्लाना शुरू कर दिया, और कहने लगी “जवाब दो मोहन" मै तुमसे पूछ रही हूं तुम कहां गए थे इतनी देर, जवाब दो मोहन मोहन मोहन...... 

अचानक मेरी आंख खुली और मैने देखा मेरी मां मुझे जगा रही है, मोहन उठो मोहन कॉलेज की टूर पर नहीं जाना? मै मां की तरफ चुपचाप देखता रहा।

मै हैरान था मुझे उस जगह का ही सपना क्यों आया, जहां हम टूर पर जाने वाले है। फिर मैने मां से ये सब बाते बताई, मां ने कहा बुरा सपना था कुछ नहीं होगा। तुम तैयार हो जाओ। 

दोस्तो सोचकर देखो आपके साथ ऐसा हो तो आप उस टूर पे जाओगे या नहीं। तो इसी के साथ मेरी ये कहानी समाप्त होती है।

धन्यवाद।



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