जुड़वा बहने
जुड़वा बहने
नमस्कार दोस्तों मैं राजीव आपको कहानियों के मेले में घूमना चाहता हूं अगर आप तैयार है तो चलिए ।
बहुत वक्त पहले जब इंसानों ने विकास नहीं किया था, तब एक परिवार अपना पालन पोषण जंगलों से कुछ चुन कर या पेड़ों के फल से करते थे।उनके परिवार में चार सदस्य थे। सदस्य का पहला व्यक्ति मुला था उसकी एक पत्नी और एक जुड़वा बेटी थी।
वो दोनों बहने जुड़वा तो थी पर अलग अलग नहीं थी। उन दोनों के पास केवल एक शरीर था, पर दो सिर थे। उसके पिता मुला को बेटियों से बहुत ईर्ष्या थी, वो उन्हें बचपन में ही मार देना चाहता था, पर उसकी मां सुरती ने बेटियों को पाला। शरीर एक होने के बावजूद सुरती ने उनका नाम अलग अलग दिया था। एक का नाम जूनी था दूसरी का मेनी।
वो विवाह के योग्य हो चुकी थी पर उनसे कोई विवाह करने को तैयार नहीं था। एक रोज परेशान होकर जूनी ने मेनी से कहा हम तालाब में डूब कर अपनी जान दे देते है, इससे पिता जी की परेशानी दूर हो जाएगी।
मेनी ने साफ इनकार कर दिया।
जूनी ने गुस्से में अपने पिता से कहा पिता जी आप हमें मार देना जब मां घर पर ना हो तब, मां आज शाम बाहर जाएंगी लकड़ियां लाने तब मैं मेनी का मुंह कपड़े से बांध दूंगी । ये सब बाते मेनी नहीं सुन पाई क्योंकि वो सो रही थी। पिता ने ठीक वैसा ही किया पर पिता एक को ही मार पाया था उतने में उसकी मां आ गई।
उन्हें वैद्य के पास ले जाया गया वैद्य ने कहा एक मर गई है इसका सिर अलग करना होगा। आपको जान कर हैरानी होगी वो मेनी नहीं जूनी थी जिसने अपने पिता की परेशानी दूर करने के लिए अपनी बलि दे दी। इस कहानी से हमे ये सीखने को मिला कि, वास्तव में पिता की पीड़ा को बेटे से ज्यादा बेटी समझती है।
धन्यवाद दोस्तो ऐसी की कहानियों के लिए मुझे फॉलो करे।
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